वन भूमियों का संरक्षण किया जाना चाहिए
Forest Lands must be Protected
( अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )
अमरावती : Forest Lands must be Protected: (आंध्र प्रदेश) वन भूमि जिसमें रिजर्व फॉरेस्ट और प्रोडक्ट फॉरेस्ट दोनो भूमियाँ प्रकृति के सबसे मूल्यवान पारिस्थितिक तंत्रों में से हैं। आज विश्व भूमि दिवस है। इस अवसर पर सभी को पर्यावरण में आर्द्रभूमि के महत्व को पहचानना चाहिए। ये प्राकृतिक जल उपचार संयंत्र हैं...कार्बन भंडारण केंद्र, असाधारण स्थान जो वर्षा जल को भूमिगत रखते हैं और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं। ये भूमियाँ भूकंपीय उत्थान को कम करने, जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने और जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
आंध्र प्रदेश में 25,000 से अधिक आर्द्रभूमियाँ हैं। इनमें से सबसे प्रमुख कोलेरू झील है। यह भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झीलों में से एक है और इसे रामसर साइट के रूप में मान्यता दी गई है। इसमें पुलिकट झील भी है, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा खारा जल निकाय है, और एक खारा दलदली जलवायु प्रणाली है जो समुद्री जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। इन भूमियों का उपयोग न केवल पक्षी संरक्षण, मत्स्य पालन के लिए बल्कि कृषि के लिए भी किया जाता है और हजारों लोगों को आजीविका प्रदान करता है।
हमारी सरकार इन बहुमूल्य संसाधनों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठा रही है। अतिक्रमण से बचने के लिए भौगोलिक सीमाओं को सटीक ढंग से स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। हालाँकि, पर्यावरण की रक्षा करना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है... हम सभी की जिम्मेदारी है। अगर हमें इसे बचाना है तो हर किसी को आगे आना होगा।
स्वार्थ को कम करके ही प्रकृति को बचाया जा सकता है। अगर सामूहिक रूप से शुरुआत की जाए तो हर छोटा प्रयास बड़े बदलाव का कारण बन सकता है। केवल जागरूकता, अच्छे अभ्यास और प्रकृति के प्रति सम्मान के साथ ही हम इन अनमोल पारिस्थितिक तंत्रों को भावी पीढ़ियों तक पहुंचा सकते हैं।
आइए आज ही अपने भविष्य के लिए काम करना शुरू करें।